1990 में रोमानिया में अपने आध्यात्मिक गुरु – श्री माताजी निर्मला देवी की उपस्थिति में, सिल्विया का अनंत का अनुभव।
“श्री माताजी के रोमानिया में रहने के दौरान मैं उनके साथ उसी घर में थी जो श्री माताजी को अर्पित किया गया था।
एक शाम,श्री माताजी के भोजन ग्रहण करने के पश्चात मैंने उन्हें हाथ धोने के लिये कटोरे में पानी दिया।
मैं पानी के कटोरे को ध्यानपूर्वक पकड़े थी कि कहीं वह हाथ से छूट न जाये।
तभी श्री माताजी का ध्यान मुझ पर पड़ा,और मुझे ऐसा लगा कि मेरा सारा ध्यान गहनता से अंदर खिंचा चला जा रहा है और तब मुझे अपने अंदर क़े उस पूर्ण मौन का अनुभव हुआ जो हमेशा से ही मुझमें था।
कुछ क्षणों पश्चात श्री माता जी ने “थैंक यू(धन्यवाद)”
कहा जो किसी भी दिखावे से रहित था।
उस क्षण मुझे प्रतीत हुआ कि मैं एक़ शाश्वत प्राणी हूँ और उनका यह “धन्यवाद” मुझे मेरे होने के पूरे अतीत
और भविष्य के लिए संबोधित करता है।
मैंने जाना कि मुझमें ही अनंत समाया है और इस वास्तविकता को अस्वीकार करना असम्भव है।”
शिवंगना, इतनि मधुर अनुभव को आपने सुन्दरता से अनुवादित किया है.
Such a beautiful experience of Silvia. In one of the speeches Mataji had said that only few people got realization is earlier yugas only after doing a lot of Sadhanas. But now with Sahaja yoga we can get it so easily, even sitting on a chair. I feel fortunate to be born this age and been introduced to Sahaja yoga.
Collective painting by the realized yogis gives out wonderful vibrations.
Jai Shri Mataji